मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 31 August 2017
क्षणिकाएँ
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ख्वाहिशें रक्तबीज सी पनपती रहती है जीवनभर, मन अतृप्ति में कराहता बिसूरता रहता है अंतिम श्वास तक। ••••••••••••••••••••••••••• मौ...
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Wednesday, 26 July 2017
क्षणिकाएँ
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प्यास नहीं मिटती बारिश में गाँव के गाँव बह रहे तड़प रहे लोग दो बूँद पानी के लिए। ★★★★★★★★★★★ सूखा कहाँ शहर भर गया लबालब पेट ज...
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