मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 9 April 2022
गीत अधूरा प्रेम का
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गीत अधूरा प्रेम का, रह-रहकर मैं जाप रही हूँ। व्याकुल नन्ही चिड़िया-सी एक ही राग आलाप रही हूँ। मौसम बासंती स्वप्नों का क्षणभर ठहरा, पाँखें मन...
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