मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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गुलमोहर.... प्रेम कविता...छंदमुक्त...
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Sunday, 5 May 2019
गुलमोहर
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गरमी की अलसायी सुबह, जब तुम बुनते हो दिनभर के सपने अपने मन की रेशमी डोरियों से, रक्ताभ आसमान से टपककर आशा की किरणें भर ज...
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