मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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गुलाम.....छंदमुक्त कविता
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Tuesday, 26 November 2019
ग़ुलाम
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चित्र: साभार गूगल ------ बेबस, निरीह,डबडबाई आँखें नीची पलकें,गर्दन झुकाये भींचे दाँतों में दबाये हृदय के तूफां घसीटने को मजबू...
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