मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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चाँँद और रात..छंदमुक्त प्रकृति कविता
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Saturday, 23 January 2021
चाँद और रात
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(१) स र्द रात गर्म लिहाफ़ में कुनमुनाती, करवट बदलती छटपटाती नींद पलकों से बगावत कर बेख़ौफ़ निकल पड़ती है कल्पनाओं के गलियारों में, दबे पाँव चुप...
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