मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 16 June 2018
चाँद हूँ मैं
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मैं चाँद हूँ आसमाँ के दामन से उलझा बदरी की खिड़कियों से झाँकता चाँदनी बिखराता हूँ मुझे न काटो जाति धर्म की कटार से मैं शाश्वत...
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