मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 11 February 2018
चिरयौवन प्रेम
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तुम्हारे गुस्से भरे बनते-बिगड़ते चेहरे की ओर देख पाने का साहस नहीं कर पाती हूँ भोर के शांत,निखरी सूरज सी तुम्हारी आँखों में बैशाख की...
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