मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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चूड़ियाँ.... सामाजिक कविता
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Tuesday 28 March 2017
चूड़ियाँ
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छुम छुम छन छन करती कानों में मधुर रस घोलती बहुत प्यारी लगी थी मुझको पहली बार देखी जब मैंने माँ की हाथों में लाल चूूड़ियाँ टुकुर टुकुर...
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