मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 19 March 2019
होली
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पी छवि नयन में आते ही मुखड़ा हुआ अबीर-सा फूटे हरसिंगार बदन पे चुटकी केसर क्षीर-सा पहन रंगीली चुनर रसीली वन पलाश के इतराये ...
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