मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जल.....अतुकांत कविता
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Friday, 22 March 2019
जल
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हाँ,मैंने महसूस किया है अंधाधुंध दोहन,बर्बादी से घबराकर,सहमकर चेतावनी अनसुना करते स्वार्थी मानवों के अत्याचार से पीड़ित पात...
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