मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जानती हूँ....बस यूँ ही..क्षणिकायें
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Monday, 13 May 2019
जानती हूँ....
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मौन दिन के उदास पन्नों पर एक अधूरी कहानी लिखते वक़्त उदास आँखों की गीली कोर पोंछकर उंगली के पोर से हथेलियों पर फैलाकर एहसास को, ...
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