मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जीवन रण में......प्रेरक कविता...बाल-गीत
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Saturday, 6 October 2018
जीवन रण में
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कुरुक्षेत्र के जीवन रण में गिरकर फिर चलना सीखो कंटक राहों के अनगिन सह छिलकर भी पलना सीखो लिए बैसाखी बेबस बनकर कुछ पग में ...
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