मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 13 March 2019
जीवन-चक्र
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निर्जीव,बिखरते पत्तों की खड़खडाहट पर अवश खड़ा शाखाओं का कंकाल पहने पत्रविहीन वृक्ष जिसकी उदास बाहें ताकती हैं सूखे नभ का ...
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