मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जो मिल न सका...छंदमुक्त प्रेम कविता
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Thursday, 25 November 2021
जो मिल न सका
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साँसों की लय पर चल रही हूँ ज़िंदगी की रगो में पर किसी की साँसें न हो सकी। किसी के मन की ख़्वाहिशों की ढेर में शामिल अपनी बारी की प्रतीक्षा मे...
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