मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जोगिया टेसू...#पलाश के फूल....तुकांत कविता...प्रकृति
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Thursday, 25 February 2021
जोगिया टेसू मुस्काये रे
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गुन-गुन छेड़े पवन बसंती धूप की झींसी हुलसाये रे, वसन हीन वन कानन में जोगिया टेसू मुस्काये रे। ऋतु फाग के स्वागत में धरणी झूमी पहन महावर, अ...
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