मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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झुर्रियाँ....दार्शनिक कविता
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Tuesday, 26 March 2019
झुर्रियाँ
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बलखाती साँस की ताल पर अधरों के राग पर हौले-हौले थिरकती सुख-दुख की छेनी और समय की हथौड़ी के प्रहार से बनी महीन, गहरी, ...
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