मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 26 November 2020
डर
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मुझे डर नहीं लगता त्रासदी के घावों से कराहती,ढुलमुलाती चुपचाप निगलती समय की खौफ़नाक भूख से। मुझे डर नहीं लगता कफ़न लेकर चल रही हवाओं के दस्तक ...
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