मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
ढलती शाम.....प्रकृति
.
Show all posts
Showing posts with label
ढलती शाम.....प्रकृति
.
Show all posts
Tuesday, 28 March 2017
ढलती शाम
›
बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा हो जाएँगे आकाश के कोर सुनहरे लाल परिंदों की खामोशी शाम का इशारा रहेगा ढ...
10 comments:
›
Home
View web version