मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
ढूँढने चले हैं...लयबद्ध कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
ढूँढने चले हैं...लयबद्ध कविता
.
Show all posts
Tuesday, 21 February 2017
ढूँढ़ने चले हैं
›
लिखकर तहरीरें खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया तुम न...
10 comments:
›
Home
View web version