मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तुझमें ही...प्रेम कविता....छंदमुक्त
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Sunday, 28 April 2019
तुझमें ही...मन#१
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बरबस ही सोचने लगी हूँ उम्र की गिनती भूलकर मन की सूखती टहनियों पर नरम कोंपल का अँखुआना ख़्यालों के अटूट सिलसिले तुम्हारे आते ह...
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