मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 19 May 2018
तुम जीवित हो माने कैसे?
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चित्र-मनस्वी प्रांजल लीपे चेहरों की भीड़ में सच-झूठ पहचाने कैसे? अनुबंध टूटते विश्वास की मौन आहट जाने कैसे? नब्ज संवेदना की...
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