मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तुम्हारा मन # प्रेम कविता # छंदमुक्त
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Friday, 9 April 2021
तुम्हारा मन
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निर्लज्ज निमग्न होकर मन देता है तुम्हें मूक निमंत्रण और तुम निर्विकार,शब्द प्रहारकर झटक जाते हो प्रेम अनदेखा कर जब तुम्हारा मन नहीं होता...।...
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