मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तुम्हारी आँखें.....प्रेम कविता....छंदमुक्त
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Tuesday, 4 June 2019
तुम्हारी आँखें
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ठाठें मारता ज्वार से लबरेज़ नमकीन नहीं मीठा समुंदर तुम्हारी आँखें तुम्हारे चेहरे की मासूम परछाई मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण ...
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