मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
तुम्हें देख-देखकर हूँँ जीती.....छंदयुक्त कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
तुम्हें देख-देखकर हूँँ जीती.....छंदयुक्त कविता
.
Show all posts
Thursday, 17 October 2019
तुम्हें देख-देखकर
›
सप्तपदी की कसमों को व्यावहारिक सारे रस्मों को मैं घोल के प्रेम में हूँ पीती तुम्हें देख-देखकर हूँ जीती तुम्हें मोह पाऊँ ...
18 comments:
›
Home
View web version