मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तृष्णा....लयात्मक कविता
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Saturday, 22 September 2018
तृष्णा
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मदिर प्रीत की चाह लिये हिय तृष्णा में भरमाई रे जानूँ न जोगी काहे सुध-बुध खोई पगलाई रे सपनों के चंदन वन महके चंचल पाखी मधु...
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