मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तो क्या आज़ादी बुरी होती है?..छंदमुक्त कविता..आज़ादी(२)
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तो क्या आज़ादी बुरी होती है?..छंदमुक्त कविता..आज़ादी(२)
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Wednesday, 14 August 2019
तो क्या आज़ादी बुरी होती है?
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तुम बेबाकी से कहीं भी कुछ भी कह जाते हो बात-बात पर क्षोभ और आक्रोश में भर वक्तव्यों में अभद्रता की सीमाओं का उल्लंघन करत...
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