मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 17 October 2017
दीवाली
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1) लड़ियाँ नेह के धागों वाली, झड़ियाँ हँसी ठहाकों वाली। जगमग घर का कोना-कोना, कलियाँ मन के तारों वाली। रंग-रंगीली सजी र...
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