मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday 12 December 2020
पहले जैसा
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कोहरे की रजाई में लिपटा दिसंबर, जमते पहाड़ों पर सर्दियाँ तो हैं पर, पहले जैसी नहीं...। कोयल की पुकार पर उतरता है बसंत आम की फुनगी से मनचले भ...
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