मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 1 January 2020
यात्रा
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समय की ज़ेब से निकालकर तिथियों की रेज़गारी अनजाने पलों के बाज़ार में अनदेखी पहेलियों की गठरी में छुपे, मजबूरी हैं मोलना अनजा...
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