मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 12 August 2018
दृग है आज सजल
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मौन हृदय की घाटी में दिवा सांझ की पाटी में बेकल मन बौराया तुम बिन पल-पल दृग है आज सजल मन के भावों को भींचता पग पीव छालों क...
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