मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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दौर नहीं है....वर्तमान परिदृश्य # तुकांत कविता
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Monday 22 February 2021
दौर नहीं है
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कुछ भी लिखने कहने का दौर नहीं हैं। अर्थहीन शब्द मात्र,भावों के छोर नहीं हैं। उम्मीद के धागों से भविष्य की चादर बुन लेते हैं विविध रंगों से भ...
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