मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
दौर नहीं है....वर्तमान परिदृश्य # तुकांत कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
दौर नहीं है....वर्तमान परिदृश्य # तुकांत कविता
.
Show all posts
Monday, 22 February 2021
दौर नहीं है
›
कुछ भी लिखने कहने का दौर नहीं हैं। अर्थहीन शब्द मात्र,भावों के छोर नहीं हैं। उम्मीद के धागों से भविष्य की चादर बुन लेते हैं विविध रंगों से भ...
25 comments:
›
Home
View web version