मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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धर्म...कर्तव्य ...छंदमुक्त कविता...
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Saturday, 4 April 2020
धर्म...संकटकाल में
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हृदय में बहती स्वच्छ धमनियों में किर्चियाँ नफ़रत की घुलती हैं जब, विषैली,महीन, नसों की नरम दीवारों से रगड़ाकर घायल कर द...
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