मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 25 December 2018
धर्म
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सोचती हूँ कौन सा धर्म विचारों की संकीर्णता की बातें सिखलाता है? सभ्यता के विकास के साथ मानसिकता का स्तर शर्मसार करता ...
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