मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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धागा चाँदनी का..... प्रकृति कविता
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Tuesday, 21 February 2017
धागा चाँदनी का
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तोड़कर धागा चाँदनी के टूटे ख्वाबों को सी लूँ भरकर चाँद का एक कोना दर्द सारे आँखों से पी लूँ सर्द हवाएँ जो तुमको छू आयी आगोश भर एहसा...
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