मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
धिक्कार है...समाजिक चिंतन#स्त्री विमर्श कविता#समसामयिक संदर्भ#
.
Show all posts
Showing posts with label
धिक्कार है...समाजिक चिंतन#स्त्री विमर्श कविता#समसामयिक संदर्भ#
.
Show all posts
Thursday, 20 July 2023
धिक्कार है....
›
धिक्कार है ऐसी मर्दांनगी पर घृणित कृत्य ऐसी दीवानगी पर। भीड़ से घिरी निर्वस्त्र स्त्री, स्तब्ध है अमानुषिक दरिंदगी पर । गौरवशाली देश हमारा झू...
9 comments:
›
Home
View web version