मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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धूप...प्रकृति...छंदमुक्त कविता
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Saturday, 27 April 2019
धूप
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तमतमाते धूप का बेरंग चेहरा देख बालकनी के गमलों में खिलखिलाते गुलाब,बेली,सदाबहार के फूल सहम गये,गर्दन झुकाये, बैठक की काँ...
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