मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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नन्ही बुलबुल... जन्मदिन... छंदमुक्त कविता
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Sunday, 18 July 2021
नन्ही बुलबुल
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कच्ची उमर के पकते सपने महक जाफ़रानी घोल रही है। घर-आँगन की नन्ही बुलबुल हौले-हौले पर खोल रही है। मुस्कान,हँसी,चुहलबाज़ी मासूम खेल की अनगिनी ब...
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