मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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निषिद्ध प्रेम नहीं.....छंदात्मक कविता
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Wednesday, 14 February 2018
निषिद्ध प्रेम नहीं
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स्मृति पीड़ा की अमरबेल मन से बिसराना चाहती हूँ मैं न भाये जग के कोलाहल प्रियतम,मुस्काना चाहती हूँ मैं मौसम की मधुमय प्रीति ...
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