मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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परदेशी पाहुन....छंदमुक्त कविता
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Saturday, 23 November 2019
परदेशी पाहुन
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चित्र:साभार गूगल (१)★★★★★★ अपनी जड़ों में वापस लौटने का, स्वप्न परों में बाँधे आते हैं परदेशी नवजीवन की चाह में आस की डो...
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