मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 19 January 2021
चिड़िया
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धरती की गहराई को मौसम की चतुराई को भांप लेती है नन्ही चिड़िया आगत की परछाई को। तरू की हस्त रेखाओं की सरिता की रेतील बाहों की बाँच लेती है पात...
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Friday, 29 December 2017
नन्ही ख़्वाहिश
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एक नन्ही ख़्वाहिश चाँदनी को अंजुरी में भरने की, पिघलकर उंगलियों से टपकती अंधेरे में ग़ुम होती चाँदनी देखकर उदास रात के दामन...
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