मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 22 December 2020
विस्मृति ...#मन#
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मन पर मढ़ी ख़्यालों की जिल्द स्मृतियों की उंगलियों के छूते ही नयी हो जाती है, डायरी के पन्नों पर जहाँ-तहाँ बेख़्याली में लिखे गये आधे-पूरे नाम...
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Thursday, 16 March 2017
रात भर जागेगा कोई
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चाँद को तकते आहें भरते भरते आज फिर रातभर जागेगा कोई ख्यालों में गुम चाँदनी में मचलते दीदारे यार की दुआ माँगेगा कोई जब जब छुएँगी ये ...
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