मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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प्रेम या विरक्ति...परिपक्वता....छंदमुक्त कविता...आत्म विश्लेषण
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Friday, 22 May 2020
परिपक्वता
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किसी अदृश्य मादक सुगंध की भाँति प्रेम ढक लेता है चैतन्यता, मन की शिराओं से उलझता प्रेम आदि में अपने होने के मर्म में "...
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