मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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फिर आया बसंत....प्रकृति कविता
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Monday, 11 February 2019
फिर आया बसंत
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धूल -धूसरित आम के पुराने नये गहरे हरे पत्तों के बीच से स्निगध,कोमल,नरम,मूँगिया लाल पत्तियों के बीच हल्के हरे रंग से गझिन मोतियों सी गूँ...
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