मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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बुद्धिजीवी हैं...छंदमुक्त कविता..वैचारिकी मंथन
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Thursday, 9 July 2020
बुद्धिजीवी
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चित्र:मनस्वी मृदुल मुस्कान और विद्रूप अट्टहास का अर्थ और फ़र्क़ जानते हैं किंतु जिह्वा को टेढ़ाकर शब्दों को उबलने के ताप...
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