मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 3 November 2018
माँ हूँ मैं
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गर्व सृजन का पाया बीज प्रेम अंकुराया कर अस्तित्व अनुभूति सुरभित मन मुस्काया स्पंदन स्नेहिल प्यारा प्रथम स्पर्श तुम्हारा ...
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