मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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भावों का ज्वार....दार्शनिक कविता
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Saturday, 18 August 2018
भावों का ज्वार
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गहराती , ढलती शाम और ये तन्हाई बादलों से चू कर नमी पलकों में भर आई। गीला मौसम, गीला आँगन, गीला मन मतवारा संझा-बाती,...
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