मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मंदी...एक विचार..छंदमुक्त कविता
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Tuesday, 3 September 2019
मंदी
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हमारे औद्योगिक शहर में छोटे-मंझोले,बंद होते कल कारखानों,छँटनी के बाद मजदूर वर्ग के माथे पर दो समय की रोटी,भात पर चिंता की गहराती लकीरे...
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