मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मन उलझन......आत्म मंथन
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Sunday, 14 October 2018
मन उलझन
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एकाकीपन की बेला में हिय विरहन-सा गाता है धागे भावों के न सुलझे मन उलझन में पड़ जाता है जीवन का गणित सरल नहीं चख अमृत घट बस ...
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