मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मुर्दों के शहर में....तुकांत सामाजिक कविता
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Tuesday, 30 July 2019
मुर्दों के शहर में
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सुनो! अब मोमबत्तियाँ मत जलाओ हुजूम लेकर चौराहों को मत जगाओ नारेबाज़ी झूठे आँसुओं की श्रंद्धाजलि इंसाफ़ के नाम पर मज़ाक मत बनाओ ...
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