मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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मज़दूर...समाजिक...छंदमुक्त कविता
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Wednesday, 1 May 2019
मज़दूर
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मज़दूर का नाम आते ही एक छवि ज़ेहन में बनती है दो बलिष्ठ भुजाएँ दो मज़बूत पाँव बिना चेहरे का एक धड़, और एक पारंपरिक सोच, ...
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